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उज्जैन में आधी रात को हरि-हर मिलन
फूलों से लदी पालकी में कृष्ण से मिलने पहुंचे महाकाल, सृष्टि का प्रभार सौंप देर रात लौटे
भगवान श्री महाकालेश्वर हरि से मिलने कार्तिक माह की वैकुंठ चतुर्दशी को गोपाल मंदिर पहुंचे। महाकाल को फूलों से लदी पालकी में बैठाया गया। महाकाल चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में सवारी में बैठकर आए थे। आधी रात को होने वाले इस मिलन के दौरान महाकाल ने सृष्टि का भार अब हरि को सौंप दिया।
सवारी के आगे-आगे कलेक्टर और मंदिर समिति के अध्यक्ष आशीष सिंह, एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल, एडिशनल एसपी अमरेंद्र सिंह और मंदिर समिति के प्रशासक गणेश धाकड़ चले। कलेक्टर और एसपी ने रात 11 बजे महाकाल की सवारी को खुद अपने कंधों पर उठाकर गोपाल मंदिर के लिए रवाना किया। भारी संख्या में श्रद्धालु भी मौजूद रहे। सवारी निकलने के पहले भगवान महाकाल मंदिर के सभामंडल में पूजन किया गया। इसके बाद पालकी में बैठाकर मंदिर के लिए सवारी रवाना हुई।
सवारी के आगे चला पुलिस बैंड
सवारी के आगे पुलिस बैंड धुन बजाते हुए चले। सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी बाजार, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंची। रास्ते में जगह-जगह पुष्प वर्षा कर बैंड-बाजे व ढोल बजाए गए। इस दौरान भगवान कृष्ण व महाकाल के जयकारे लगते रहे। कई जगह आतिशबाजी भी की गई। गोपाल मंदिर पहुंचने पर पालकी का मंदिर की ओर से भव्य स्वागत किया गया। गोपाल मंदिर और महाकाल के पुजारियों ने दोनों की पूजा-अर्चना की। उन्हें फल, मेवे व प्रसाद का भोग लगाया गया। मंदिर में एक दर्जन से ज्यादा पुजारी मौजूद थे। पूजा-अर्चना के बाद भगवान महाकाल वापस मंदिर के लिए रवाना हुआ।
इसलिए खास है यह सवारी
पौराणिक आख्यानों की मान्यता के अनुसार, देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक राजा बली के यहां विश्राम करने जाते हैं, इसलिए उस समय संपूर्ण सृष्टि की सत्ता का भार शिव के पास होता है। वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन हर-हरि को उनकी सत्ता का भार वापस सौंप कर कैलाश पर्वत तपस्या के लिए लौट जाते हैं। इस धार्मिक परंपरा को हरिहर मिलन कहते हैं। कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी भगवान विष्णु तथा शिव जी के ऐक्य का प्रतीक हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु ने मत्स्य रूप में अवतार लिया था।
आज से शयन आरती भी कर सकेंगे, पर गर्भगृह में प्रवेश नहीं
राज्य सरकार की ओर से कोरोना से संबंधित सभी प्रतिबंध हटा लेने के बाद भी महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में श्रद्धालुओं का प्रवेश अभी शुरू नहीं होगा, लेकिन गुरुवार से मंदिर में रात 10.30 बजे तक श्रद्धालु प्रवेश कर शयन आरती में भाग ले सकेंगे। नंदीगृह से भी दर्शन की सुविधा दी जा सकेगी। मंदिर समिति अध्यक्ष व कलेक्टर आशीष सिंह के अनुसार गर्भगृह में श्रद्धालुओं को प्रवेश देने के मामले में मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में निर्णय लेंगे। मंदिर के शिवलिंग के क्षरण का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। गर्भगृह में प्रवेश के संबंध में आपदा प्रबंधन समूह की बैठक में निर्णय लिया जाएगा।